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लेखनी कहानी -17-May-2022 पसंदीदा किताब

मैंने तो सिर्फ एक ही किताब पढ़ी है 
और वह है तेरे दिल की पवित्र किताब 
उसे पढ़ने के बाद इच्छा ही नहीं हुई 
कुछ और लिखा हुआ पढ़ने की 
मेरी सारी दुनिया इसी में तो बसी है 
तुझसे ही मेरा गम तुझसे ही खुशी है
इस किताब के हर शब्द में मुहब्बत है
हर अक्षर मेरे लिए तो इबादत है 
यहां श्रंगार रस का सागर उफन रहा है 
भावनाओं की कश्ती में इश्क पल रहा है
सरलता के सौंदर्य की चांदनी फैली हुई है
इसी से ही तो इन लबों पे हंसी खेली हुई है
त्याग के पहाड़ों से बहारें आ रही हैं 
सेवा की घंटियां मीठे फसाने सुना रही हैं 
सारे रसों की गंगा यहीं से तो निकलती हैं 
मेरी आंखें सिर्फ और सिर्फ तुझको ही तो पढ़ती हैं 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
17.5.22 


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7 Comments

Neelam josi

21-May-2022 03:35 PM

Very nice 👌

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Anam ansari

17-May-2022 09:25 PM

👌👌

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Fareha Sameen

17-May-2022 09:06 PM

Nice

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